केवल देखना मात्र है, जैसा है उसे वैसा ही केवल देखा जा रहा है। उसको बदलना नहीं है, उसे पाना नहीं है, कोई पूर्वाग्रह नहीं है, कोई नाम नहीं देना है, कोई ज्ञान नहीं प्राप्त करना है।
कोई प्रयत्न नहीं है, कोई भी प्रयास नहीं है, केवल देखना मात्र है, होना मात्र है, वो जो पहले से ही पूर्ण है। तब वो अपने स्वरूप में चमकता है, फिर वो तब भी चमकता है जब विचार हों, जब नाम हो, जब चाह हो।
🙏🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर अश्विन जी 🙏🌹
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
Very powerful and pointing towards core of being
जवाब देंहटाएं