ना तेरा कुछ है, ना मेरा कुछ है,
क्यों तेरा मेरा करता है रे बंदे।
ना तू ही तू है, ना मैं ही मैं हूँ,
क्यों तू तू मैं मैं कहता है रे बंदे।
उठ भोर हुई अब जाग मुसाफिर,
कब तक सोता रहेगा रे बंदे।
दो दिन की है ये ज़िन्दगानी,
ज्ञान की वर्षा में भीग ले रे बंदे।
बहुत सुंदर
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