'मैं साक्षी हूं', यह जानना चेतना है। पर यह भी कौन जान रहा है, उसको ढूंढो तो आप स्वयं ही साक्षी हो, इसमें कोई संशय नहीं रह जायेगा।
तीन तरह के दृष्टिकोण हो सकते हैं - भौतिक वादी, द्वैत वादी और अद्वैत।
जो मुक्त है, यानी साक्षी या अनुभव को जानने वाला, वो सदा मुक्त ही है, वो कभी बंधन में था ही नहीं।