तीन तरह के दृष्टिकोण हो सकते हैं - भौतिक वादी, द्वैत वादी और अद्वैत।
1) ब्रह्मं मिथ्या जगत सत्यम - भौतिकवादी। जगत शरीर मन आदि सत्य हैं, बाकी सब कल्पना मात्र है। जिंदगी ना मिलेगी दोबारा। मुक्ति, आध्यात्म आदि समय की बरबादी है। किसी भी माध्यम से अपनी इच्छा पूर्ती करना ही जीवन का लक्ष्य है।
2) ब्रह्मं सत्यम जगत सत्यम - द्वैत वादी। जगत भी सत्य है ईश्वर भी सत्य है। कर्म, ध्यान, भक्ति, साधना आदि सालों तक करने से मुझे मुक्ति मिलेगी। सुख और मोक्ष ही लक्ष्य है।
3) ब्रह्मं सत्यम जगत मिथ्या - अद्वैत, ज्ञान मार्ग। ब्रह्मं ही सत्य है, बाकी जो प्रकट है वो प्रतिति है, पर वो भी मेरा ही रुप है मुझसे भिन्न कुछ नहीं है। दृष्टा दृश्य दो नहीं हैं, केवल ब्रह्मं ही है। मैं पहले से ही मुक्त हूँ, कुछ करने से मुक्ति सम्भव नहीं है। लक्ष्यहीनता, कारणहीनता, समयहीनता ही है।
वाह 👍👍 गुरु जी 🙏🙏
जवाब देंहटाएंजिंदगी मिलेगी ना दुबारा 😁
जिंदगी मिलेगी दुबारा😁
जिंदगी सदा है🙏🙏
😄😄👍👍
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हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएं🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंएक और व्याख्या है अद्वैत में, सर्वं खल्विदं ब्रम्ह.. सब ब्रम्ह ही है एक क्षर ब्रम्ह (परिवर्तन शील) दूसरा अक्षर ब्रम्ह (अविनाशी)
ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या के साथ सर्वम खल्विम ब्रह्म जोड़ने से सम्पूर्ण ज्ञान हो गया है।
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मज़ा आ गया :)
जवाब देंहटाएंआभार 🙏🙏
हटाएंब्रह्मं सत्यम जगत मिथ्या
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आपने तीन दृष्टकोणो को अति सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।
जवाब देंहटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंThanks 🙏🙏
हटाएंअति सुंदर।
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