रविवार, 16 मई 2021

आत्मबोध।


अहम वृत्ति यानि जिसको भी 'मैं' समझा है, और मैं समझकर उससे तदात्म्य बना लिया है। तदात्म्य का अर्थ है, कुछ भी 'यह' है उसको 'मैं हूँ' या 'यह मैं हूँ' ऐसा मान लेना। अहम वृत्ति उत्पन्न होने के साथ ही बाकी सब 'अन्य'  हो जाते हैं। फिर वो चाहे अन्य वस्तु हो या अन्य व्यक्ति। अहम भाव उत्पन्न होते ही अंदर - बाहर की कल्पना का भी जन्म हो जाता है।