सोमवार, 29 मार्च 2021

जागृत और स्वप्न की तुलना।


यदि किसी क्रिया को बार बार दोहराने से एक ही तरह के परिणाम आते हैं तो उनको हम नियम कह देते हैं।


भौतिक जगत में कई नियम दिखते हैं जो की विज्ञान ने समय समय पर सिद्ध किये हैं जैसे न्यूटन के गति के नियम, गुरुत्वाकर्षण का नियम, ऊर्जा का संरक्षण, थर्मोडायनामिक्स के नियम, सापेक्षता का सिद्धांत आदि।

रविवार, 28 मार्च 2021

ज्ञान ट्वीट #3

अध्यात्म मार्ग पर दो कदम चलना है:

- मैं भ्रम है।

से लेकर

- मैं ब्रह्म है।

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

आनंद की खोज।


क्या है आनंद? कहां मिलेगा यह? कौन है जो आनंद में है? यदि मेरा स्वरूप आनंद है तो यह आता जाता क्यों है? क्या करूं जो यह स्थायी हो जाये? क्या आनंद और सुख एक ही हैं?

रविवार, 21 मार्च 2021

मुक्ति का भ्रम।

मुक्ति का अर्थ क्या है? 


यह समझने से पहले यह जानना ज्यादा आवश्यक है कि बंधन क्या है, बंधन का कारण क्या है और बंधन में कौन बंधा हुआ है? यदि इन प्रश्नों के उत्तर मिल गये तो मुक्ति का सही अर्थ भी ज्ञात हो जायेगा।

मंगलवार, 16 मार्च 2021

उलटा पुलटा।


जो सत्य है, माया में ठीक उसका उलटा प्रतीत होता है। जैसे माया में यह प्रतीत होता है कि:


- मैं जन्म लेता हूँ, मेरी मृत्यु होती है, लेकिन सत्य है कि शरीर जन्म लेता है और शरीर मरता है, मैं नहीं। 


- मैं कर्ता हूँ, यह मेरे विचार हैं, यह मेरी भावनायें हैं आदि। सत्य है कि यह सब हैं, पर ना यह सब मैं हूँ ना यह मेरे हैं।

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

मैं क्या हूँ?

आखिर मैं हूँ कौन या मैं क्या हूँ और मेरा स्वरूप क्या है?


यदि यह प्रश्न बहुत वेग के साथ किसीमें उठ गये हैं, इन प्रश्नों ने उसे बेचैन कर दिया है, या कोई इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने में लग गया है, तो समझ लो वह बहुत भाग्यशाली है।

सोमवार, 8 मार्च 2021

ज्ञान ट्वीट #2

यह वस्तुयें, शरीर, मन, विचार, इच्छायें, वासनायें, भावनायें आदि मेरा कुछ नहीं है। 


मेरा होने के लिए दो होना आवश्यक है। यह सब मेरा नहीं है, यह सभी भी मैं ही हूँ। दो नहीं हैं, केवल अद्वैत ही है।

शनिवार, 6 मार्च 2021

दृष्टा, दृश्य, और दृष्टि।

दृष्टा क्या है?


यहां यह स्पष्ट करना उचित है कि दृष्टा यानि केवल वो नहीं है जो आँखों से देख रहा है, बल्कि दृष्टा मतलब जो किसी भी इन्द्रिय के द्वारा कुछ भी अनुभव कर रहा है, जैसे जो सुन रहा है, स्वाद ले रहा है, समझ रहा है आदि आदि। 


जो देख रहा है, जो साक्षी है, जो अपरिवर्तनीय है, वह दृष्टा है। दृष्टा में कोई गुण नहीं हैं, उसको नकारात्मक ज्ञान या नेती नेती से ही जाना जा सकता है।

ज्ञान ट्वीट #1

मैं मुक्त नहीं हो सकता हूँ, 'मैं' से मुक्त हुआ जा सकता है। और यदि कोई मैं से भी मुक्त होना चाहता है, तो वह भी बंधन में है।


अज्ञान है तो मैं सर्वदा बंधन में हूँ, अज्ञान का अभाव है तो मैं सर्वदा मुक्त ही हूँ।