रविवार, 12 मार्च 2023

बंधन - मुक्ति।

बुद्धि ही बंधन का कारण है, और बुद्धि ही मुक्ति का माध्यम भी है।

शनिवार, 11 मार्च 2023

अद्वैत

क्या तुम उस प्रेम को देख सकते हो जो हर क्षण तुम्हारे अंदर पैदा होता है, जब तुम स्वीकार भाव में होते हो, पूर्ण स्वीकार, पूर्ण समर्पण भाव। तब तुम्हें चिंता नहीं की अगले क्षण क्या होगा, तब तुम्हारा चुनाव गिर जाता है ताश के पत्ते से बने हुए महल की तरह। उस निश्चिंतता में तुम्हें नहीं परवाह आगे क्या होगा या अब तक जीवन में क्या हुआ। क्या ये स्वीकार भाव उतरा है जीवन में? 

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

मैं कौन हूं।

 जागृत में मैं कुछ हूं, लेकिन कुछ नहीं भी हूं।