जो प्राप्त हुआ है, या हो सकता है, वो अभी भी अप्राप्त के लिए अप्राप्त ही है।
केवल देखना मात्र है, जैसा है उसे वैसा ही केवल देखा जा रहा है। उसको बदलना नहीं है, उसे पाना नहीं है, कोई पूर्वाग्रह नहीं है, कोई नाम नहीं देना है, कोई ज्ञान नहीं प्राप्त करना है।