गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

अवस्था त्रयम विवेक।


मैं चित्त में उठने-गिरने वाली अनेक वृत्तियों का दृष्टा हूँ। चित्त की विभिन्न अवस्थायें आती जाती रहती हैं, मैं इन अवस्थाओं के साथ नहीं बदलता। चित्त का एक वस्तु की तरह  अध्यन करने से उसके प्रति आसक्ति कम हो जाती है, और एक दूरी बन जाती है मुझमें और चित्त की अनेक वृत्तियों में। 'मुझमें' यानि चैतन्य स्वरूप में और चित्त की अनेक वृत्तियों में।

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

ज्ञान ट्वीट #4

जो भाग सकता है वो रुक भी सकता है। दुर्भागवश यह सामान्य ज्ञान दुनिया में अधिकतर नदारद है। 


मन बहुत इधर उधर भटकता रहता है, थोड़ा उसे रुकने दें। आत्मबोध से मन की गति कम होने लगती है, क्योंकि आत्मन से अद्भुत दुनिया में कुछ नहीं है।


मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

पूर्णता से पूर्णता।



जीवन के लिए जो भी आवश्यक है वो प्रकृति में पहले से ही भरपूर मात्रा में प्राकृतिक रुप से उपलब्ध है और वह पूर्ण है, उसको और अधिक पूर्ण नहीं किया जा सकता है। 

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

ज्ञान मार्ग पर दो कदम।


पहला है 'नेती नेती'।


अद्वैत में बहुत प्रचलित, इन आसान पर अध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शब्दों का अर्थ है, 'यह नहीं' 'यह नहीं' (न + इति)।