1) अन्तरमन
अपने अन्तर मन में उन्हें देखो,
सबमें वही मिलेंगे।
तुझे ढूंढने जब निकला,
खुद को पा लिया।
खुद को ढूंढने जब चला,
तुझको पा लिया।
तुम ही मुझमें, मैं ही तुममें,
अब पाने को कुछ नहीं रहा।
सबमें मैं, मुझमें सब,
अब कहने को क्या रहा।
2) तुम क्या मिले।
कुछ पल के लिए,
मैं यूँ जिया,
मैं ही नहीं रहा,
जैसे वक्त थम सा गया।
तुम क्या मिले,
सब कुछ वही,
फिर भी सब कुछ नया,
ये समां ही बदल गया।
3) खेल
खेलते खेलते जब जी भर गया, तो खिलौने बदल दिये,
खेलने वाला ही जब खुद खिलौना हो गया, अब किसे ढूंढूं।
खुद को ढूंढते ढूंढते कहां चला गया पता ही नहीं चला,
ढूंढने वाला भी जब नहीं रहा, तो अब खुद को पा लिया।
खुद को खोजा, तो खुदा का पता मिला।
खुद को खोया, तो खुदी को पा लिया।
सद्गुरु तुमको नमन!
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर है, ज्ञान की अविरल धारा
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