आप पहले से ही अपने घर पर हैं, अब कहां जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष को भी समाप्त करने का संघर्ष मत करो, वो भी निरर्थक ही होगा।
ज्ञान सरल है, अज्ञान कठिन है। केवल इतना ही तो जानना है कि जो भी जाना जा सकता है वो मिथ्या है, केवल मैं ही हूँ जो खुद को जान रहा हूँ, जो खुद से ही खेल रहा हूँ। मैं अपने ही वैभव में, अपनी ही पूर्णता में तृप्त हूँ, यहीं इसी क्षण सम्पूर्ण तृप्ति है।
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